योग से प्राप्त होने वाली सिद्धियां

योग से प्राप्त होने वाली सिद्धियाँ (Yogic Powers or Siddhis) प्राचीन भारतीय योगशास्त्र और तंत्रशास्त्र में वर्णित विशेष मानसिक, आध्यात्मिक और कभी-कभी भौतिक शक्तियाँ हैं, जो साधना और आत्मसंयम से प्राप्त होती हैं। ये पातंजल योगसूत्र सहित कई ग्रंथों में वर्णित हैं।🔱 मुख्य 8 सिद्धियाँ (अष्टसिद्धियाँ):1. अणिमा –स्वयं को अणु (सूक्ष्मतम) बना लेने की शक्ति।(एक प्रकार की सूक्ष्म यात्रा और सूक्ष्म जागरूकता)2. महिमा –शरीर या चेतना को अत्यंत विशाल बना लेने की शक्ति।(ब्रह्मांडीय चेतना से जुड़ाव)3. गरिमा –शरीर को अत्यधिक भारी बना लेना (मनोग्राही रूप से)।(गंभीरता और स्थिरता का प्रतीक)4. लघिमा –शरीर को अत्यंत हल्का बना लेना या गुरुत्वाकर्षण से मुक्त होना।(ध्यान में ऊर्ध्वगति अनुभव)5. प्राप्ति –इंद्रियों के माध्यम से दूरस्थ वस्तुओं की प्राप्ति या जानकारी पाना।(टेलीपैथी, क्लैरवॉयन्स जैसे अनुभव)6. प्राकाम्य –इच्छित वस्तु या स्थिति की प्राप्ति की शक्ति।(इच्छा सिद्धि, आंतरिक नियंत्रण)7. ईशित्व –सृजन और नियंत्रण की शक्ति – सृजनकर्ता की भावना।(आध्यात्मिक नेतृत्व और रचनात्मकता)8. वशित्व –दूसरों और अपनी इंद्रियों पर पूर्ण नियंत्रण।(आत्मसंयम और प्रभावशाली चेतना)—🧘 योगसूत्र में वर्णित अन्य सिद्धियाँ:पतंजलि योगसूत्र के विभूतिपाद में सिद्धियाँ तीन मुख्य साधनों से प्राप्त बताई गई हैं:संयम (धारणा + ध्यान + समाधि)तप (कठिन आत्मनियंत्रण)ईश्वरप्रणिधान (भगवद् समर्पण)कुछ विशेष सिद्धियाँ:मनोगति – किसी के मन को पढ़ लेनादूरश्रवण / दूरदर्शन – दूर की घटनाओं को सुन/देख पानाभविष्यज्ञान – आने वाली घटनाओं का पूर्वाभासशरीर पर नियंत्रण – जैसे स्वेच्छा से हृदयगति या श्वास नियंत्रित करनाजल पर चलना, आकाशगमन – प्रतीकात्मक रूप में मानसिक ऊँचाई की यात्रा—🚨 चेतावनी (शास्त्रीय दृष्टिकोण से):> “सिद्धियाँ योगी के मार्ग में बाधा भी बन सकती हैं”पतंजलि ने स्पष्ट किया है कि सिद्धियाँ अंतिम लक्ष्य नहीं हैं, बल्कि वे माया हैं जो योगी को रास्ते से भटका सकती हैं। मुख्य लक्ष्य कैवल्य (मोक्ष) है।—🔚 निष्कर्ष:योग से सिद्धियाँ प्राप्त हो सकती हैं, लेकिन इनका उपयोग संयमपूर्वक, सेवा और आत्मोन्नति के लिए ही होना चाहिए। यदि योग का अभ्यास केवल सिद्धियाँ पाने के लिए किया जाए, तो वह योग नहीं रह जाता, केवल शक्ति-साधना बन जाता है।

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