युद्ध और शांति

युद्ध और शांति: एक तर्कसंगत विश्लेषण—भूमिका:मानव सभ्यता के इतिहास में युद्ध और शांति दो ऐसे ध्रुव हैं जिनके इर्द-गिर्द समाज, राजनीति, अर्थव्यवस्था और संस्कृति घूमती रही है। युद्ध विनाश का प्रतीक है तो शांति निर्माण और विकास की दिशा है। परंतु क्या युद्ध केवल विनाश है? और क्या शांति केवल निष्क्रियता है? इन दोनों अवधारणाओं की तर्कसंगत पड़ताल आज के वैश्विक परिप्रेक्ष्य में अत्यंत आवश्यक हो गई है।—युद्ध: आवश्यक बुराई या मानव स्वभाव?1. युद्ध का कारण:युद्ध के पीछे कई कारण हो सकते हैं –सत्ता की लालसा,धर्म या विचारधारा का टकराव,सीमाओं और संसाधनों पर अधिकार,या राजनीतिक असफलताएँ।मानव इतिहास में ट्रॉय, कुरुक्षेत्र, वॉटरलू, विश्व युद्ध आदि उदाहरण हैं जहाँ युद्ध ने इतिहास की दिशा ही बदल दी।2. क्या कभी युद्ध उचित हो सकता है?महाभारत का युद्ध “धर्म की स्थापना” के लिए हुआ था, तो विश्व युद्धों में अधिनायकवाद के विरुद्ध जनतंत्र की रक्षा का तर्क दिया गया।इससे यह प्रश्न उठता है – क्या “न्याय के लिए युद्ध” उचित हो सकता है?गांधीजी इसका विरोध करते हैं, जबकि श्रीकृष्ण गीता में कहते हैं –> “धर्म के लिए युद्ध से पीछे हटना अधर्म है।”—शांति: केवल युद्ध की अनुपस्थिति नहींशांति को केवल युद्धविराम समझना एक सीमित दृष्टिकोण है। सच्ची शांति तब होती है जब –समाज में न्याय हो,व्यक्ति को अवसर समान हों,और राष्ट्रों के बीच विश्वास का वातावरण हो।1. शांति के मार्ग:संवाद और कूटनीति (डिप्लोमेसी)समानता और सहिष्णुताअहिंसा और प्रेम का मार्ग (गांधीवाद)संयुक्त राष्ट्र जैसे वैश्विक मंच की भूमिका—युद्ध और शांति के बीच संतुलनकुछ विचारक कहते हैं कि युद्ध से ही शांति स्थापित होती है। परंतु यह शांति अस्थायी हो सकती है।दूसरी ओर, अंधशांति की नीति (हर हाल में समझौता) राष्ट्र की कमजोरी बन सकती है।इसलिए तर्कसंगत नीति यह कहती है कि –> “शांति की आकांक्षा के साथ, शक्ति की तैयारी आवश्यक है।”—आज के संदर्भ में:रूस-यूक्रेन युद्धइजराइल-ईरान तनावभारत-चीन सीमा विवादयह सभी घटनाएँ हमें यह सोचने को विवश करती हैं कि क्या विश्व कभी स्थायी शांति की ओर बढ़ पाएगा?—निष्कर्ष:युद्ध और शांति कोई स्थायी अवस्था नहीं, बल्कि मानवीय निर्णयों का परिणाम हैं। जहाँ युद्ध का अंतिम विकल्प होना चाहिए, वहीं शांति के लिए सतत प्रयास आवश्यक हैं।प्रश्न यह नहीं कि युद्ध करें या न करें, प्रश्न यह है कि क्या हम न्यायपूर्ण, टिकाऊ और सर्वहितकारी शांति स्थापित कर सकते हैं?यदि हाँ, तो वही मानवता की सबसे बड़ी विजय होगी।

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